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लंदन: दिवाली के दिन भारत विरोधी मार्च निकालने की तैयारी, खुद पाक मूल के मेयर ने जताई आपत्ति

लंदन। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पूरी तरह से बौखलाया हुआ है। अब तक एक-एक करके पाकिस्तान ने कई बचकाने कदम उठाए हैं। अपने ताजा ऐलान में पाकिस्तान ने लंदन में दिवाली के दिन भारत विरोधी मार्च निकालने का ऐलान किया था। जहां एक तरफ कई ने इसकी आलोचना की तो वहीं अब पाकिस्तानी मूल के लंदन मेयर सादिक खान ने भी इसकी निंदा की है।

प्रदर्शनकारियों से इस विरोध मार्च रद्द करने की अपील

सादिक खान ने कहा कि इस तरह के मार्च से ब्रिटेन की राजधानी में विभाजन गहराएगा। खान ने प्रदर्शन के आयोजकों और प्रदर्शनकारियों से इस विरोध मार्च रद्द करने की भी अपील की। आपको बता दें कि इस मार्च में गुलाम कश्मीर के कथित राष्ट्रपति सरदार मसूद खान और प्रधानमंत्री राजा मुहम्मद फारूक हैदर खान के भी शामिल होने रिपोर्ट्स आ रही हैं।

London Mayor Sadiq Khan

लंदन पुलिस ने बताई मार्च से जुड़ी जानकारी

वहीं, आयोजकों ने इस मार्च के लिए लंदन प्रशासन से अनुमति भी ले ली है। लंदन सिटी पुलिस के मुताबिक, इस प्रस्तावित मार्च के लिए 5,000 से 10,000 प्रदर्शनकारियों के भाग लेने की अनुमति मांगी गई है। पुलिस के मुताबिक, यह प्रोटेस्ट मार्च ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आवास डाउनिंग स्ट्रीट के पास स्थित रिचमंड टेरेस से लेकर भारतीय उच्चायोग तक निकाले जाने की अनुमति मांगी गई है।

भारतीय मूल के नवीन शाह ने सादिक खान को लिखा पत्र

इस मार्च के संबंध में लंदन असेंबली के सदस्य और भारतीय मूल के नवीन शाह ने लंदन के मेयर से हस्तक्षेप करने की अपील की है। शाह के पत्र के जवाब में लंदन के मेयर ने कहा, 'मैं दिवाली के शुभ अवसर पर भारतीय उच्चायोग के नजदीक तक विरोध मार्च निकालने की इस योजना की कड़ी निंदा करता हूं।' खान ने यह भी आश्वस्त किया कि मेरा कार्यालय मार्च के दौरान निगरानी रखेगा। यह सुनिश्चित करने के लिए वे पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

गृह मंत्री प्रीति पटेल को भेजा गया पत्र

उन्होंने पत्र में आगे लिखा, 'आपको मालूम होगा कि ऐसे प्रोटेस्ट को रोकने का अधिकार गृह मंत्री के पास है लंदन मेयर के तौर पर मेरे पास नहीं है। ऐसे में मैं आपके इस पत्र की कॉपी गृह मंत्री प्रीति पटेल और पुलिस आयुक्त क्त्रेसिडा डिक को भेज रहा हूं। उम्मीद है कि वे मेरी चिंताओं के अनुरूप इस पर विचार जरूर करेंगे।' बता दें कि शाह ने अपने पत्र में 15 अगस्त को भारतीय उच्चायोग के सामने हुए झड़पों का उल्लेख किया था, जिसमें भारतीय मूल के लोगों और पाकिस्तानी मूल के लोगों के बीच हिंसा हुई थी।



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