हरतालिका तीज व्रत रखने से पहले जान लें ये महत्वपूर्ण बातें, वरना पछताएंगे

सुहाग का त्योहार हरतालिका तीज व्रत 2 सितंबर 2019 के दिन रखा जाएगा। इस दिन सभी महिलाएं शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और पति लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाओं के साथ ही यह व्रत कुंवारी युवतियां मनोवांछित वर पाने के लिए भी रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है और इस व्रत के नियम भी अन्य व्रतों की अपेक्षा थोड़े कड़े होते हैं। व्रत रखने से पहले कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरुरी होता है। कहा जाता है की इन बातों का ध्यान रखकर हम शिव-पार्वती से मिलने वाला आशीर्वाद मिना गलती के पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं व्रत के नियम...

 

Hartalika teej

ये हैं व्रत के नियम-

  • हरतालिका तीज प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
  • हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
  • पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
  • सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है।
  • यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।
  • आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
  • हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
  • हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
  • हरतालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।
  • हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
    हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
  • पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
  • सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।

 



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