कॉलेजों में CBSE और RBSE से पास स्टूडेंट्स के लिए अलग-अलग नियम

प्रदेश में कॉलेजों में प्रवेश में होनहारों में ही भेदभाव हो रहा है। चयन का फार्मूला ही ऐसा है कि परिणाम लगभग समान होने के बावजूद एक बोर्ड के बच्चों का दाखिला ही नहीं हो पा रहा है। इस बार सीबीएसई व राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिणाम लगभग समान आए हैं। फिर भी सीबीएसई के होनहार प्रदेश के सरकारी विवि के कॉलेजों में प्रवेश लेने से वंचित रह जाएंगे। चार-पांच वर्ष पूर्व जहां कॉलेजों में सीबीएसई बोर्ड के छात्र-छात्राएं ही प्रवेश ले पाते थे, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के गिनती के बच्चों को प्रवेश मिल पाता था। अब स्थिति उल्टी हो गई है। अब सीबीएसई के विद्यार्थी बाहर रह जाते हैं। अब कॉलेजों में प्रवेश की जद्दोजहद भी शुरू हो गई है।
एक बोर्ड में अधिकतम अंक 499, दूसरे में 497
पहले सीबीएसई बोर्ड में छात्र-छात्राओं को 98-99 फीसदी अंक तक मिल जाते थे वहीं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में यह आंकड़ा 94-95 फीसदी को छू पाता था। अब हालात बदले हैं। इस साल सीबीएसई ने 12वीं में 500 में से अधिकतम 499 नंबर दिए हैं। वही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी कला संकाय में 500 में 497 नंबर पर टॉप किया है। विज्ञान संकाय में भी 495 अंक अधिकतम आए हैं। कॉमर्स में यही स्थिति है।
फिर भेदभाव वाला फार्मूला प्रस्तावित, कम हैं तो जोड़े जाते हैं नंबर
वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में प्रवेश लिए पर्सेंटाइल फार्मूला तय कर रखा है। इसके आधार पर ही विभिन्न बोर्डों में आए छात्रों के नंबरों में सामंजस्य बैठाया जाता है। इस साल भी पर्सेंटाइल फार्मूला ही प्रस्तावित किया है। पर्सेंटाइल फार्मूले का मतलब है विभिन्न बोर्डों के नंबरों को एक समान करना।
उदाहरण के लिए सीबीएसई में अधिकतम 99.80 प्रतिशत अंक आए। कुल 5 लाख बच्चों ने परीक्षा दी। टॉप दस प्रतिशत अंकों में 50 हजार बच्चों के अंक आए तो औसत नंबर निकाले जाएंगे। इसी प्रकार माशिबो के टॉप दस प्रतिशत अंकों में औसत नंबर निकाले जाएंगे। दोनों में असमानता होगी, उन्हें समान करने के लिए उतने औसत नंबर जोड़े जाएंगे। वह उस बोर्ड के हर छात्र के अंक में जुड़ेंगे।
प्रवेश ले पाए 10 फीसदी से भी कम विद्यार्थी
पर्सेंटाइल फार्मूले के कारण राजस्थान विवि के महाराजा, महारानी, राजस्थान और कॉमर्स महाविद्यालयों में गत वर्ष कुल प्रवेश में दस प्रतिशत से भी कम सीटों पर सीबीएसई विद्यार्थियों को प्रवेश मिल पाया था। चारों महाविद्यालयों में साढ़े पांच हजार सीटों में से सीबीएसई के 500 विद्यार्थी प्रवेश ले पाए थे।
होनहार कर रहे दूसरे राज्यों का रुख
सीबीएसई में 85-90 फीसदी अंक वाले बच्चों को कुछ वर्षों से जयपुर के सरकारी कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा। वे दूसरे राज्यों के कॉलेजों का रुख कर रहे हैं। जो बाहर रहकर पढ़ाई वहन नहीं कर पाते, वे शहर के ही निजी कॉलेजों में प्रवेश ले रहे हैं।
एक्सपर्ट बोले: कोटा तय करे या हो प्रवेश परीक्षा
सरकार को विश्वविद्यालय में सीबीएसई का अलग कोटा तय करना चाहिए या प्रवेश परीक्षा से प्रवेश देने की व्यवस्था करनी चाहिए। इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित अन्य कोर्स में एंट्रेंसे टेस्ट से प्रवेश दिए जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य प्रतिष्ठित विवि में प्रवेश परीक्षा व 12वीं कक्षा के नंबरों को मिलाकर ही प्रवेश दिए जाते हैं।
- प्रो. नवीन माथुर, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, राजस्थान विश्वविद्यालय
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